लेखक:
ममता जैतली
राजस्थान के महिला आन्दोलन में पिछले 20 वर्षों से सक्रिय ममता जैतली मीडिया में महिलाओं की सकारात्मक छवि स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। वे पिछले बारह वर्षों से ग्रामीण मासिक समाचार पत्र ‘उजाला छड़ी’ का प्रकाशन कर रही हैं। राजस्थान के जाने-पहचाने महिला विकास कार्यक्रम के साथ स्वैच्छिक संस्था ‘राज्य इदारा’ के माध्यम से महिलाओं के सशक्तीकरण प्रशिक्षण व सूचना सम्प्रेषण के कार्य से वे जुड़ी। इसी दौरान रूपकँवर विधवा दहन, भटेरी सामूहिक बलात्कार विरोधी आन्दोलन में वे सक्रिय रहीं। 1996-97 में भारतीय प्रतिष्ठान एन.एफ.आई. दिल्ली की मीडिया फैलोशिप के तहत राजस्थान में बालिकाओं की स्थिति पर उन्होंने अध्ययन किया। वर्ष 1998 से अब तक वे विविधा महिला आलेखन व सन्दर्भ केन्द्र के समन्वयक का पदभार सँभाल रही हैं। वर्ष 2001 में महिला व वंचित वर्ग की मीडिया एडवोकेसी के लिए विविधा न्यूज व फीचर सर्विस के सम्पादन का दायित्व सँभाला। वर्ष 2001 में पंचायती राज संस्थाओं में महिला जन-प्रतिनिधियों की भूमिका पर हिन्दी भाषा में सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए उन्हें सरोजनी नायडू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 49 वर्षीय श्रीप्रकाश शर्मा का समूचा जीवन बहुआयामी संघर्ष की मिसाल रहा। बनारस के स्थानीय अखबार से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले श्रीप्रकाश जी ने निर्भीकतापूर्वक लेखनी चलाई। राजस्थान आने के बाद वे यहाँ यूनीवार्ता के राज्य ब्यूरो प्रमुख बने। फिर यूनीवार्ता के दिल्ली ब्यूरो में भी कार्यरत रहने के दौरान अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी। नब्बे के दशक में वे जन-आन्दोलनों की ओर प्रवृत्त हुए और राज्य के वंचित वर्ग के प्रहरी के रूप में उभरे। पिंकसिटी प्रेस क्लब, जयपुर के संस्थापक सदस्य एवं प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष तथा कुल तीन बार पिंकसिटी प्रेस क्लब जयपुर के अध्यक्ष रहे। राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव रहे। सामाजिक सरोकार के विविध विषयों पर वे अनवरत लेखन करते रहे। कई संस्था संगठनों में वे मीडिया सलाहकार रहे, उन्होंने ‘विकासात्मक पत्रकारिता प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान’ की स्थापना की तथा दलित चेतना जैसे मुद्दों पर उनका पाक्षिक ‘राजनिष्ट’ एक आन्दोलन बनकर सामने आया। |
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आधी आबादी का संघर्षममता जैतली
मूल्य: $ 14.95 यह केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि भारतीय महिला आन्दोलन के स्वरूप को समझने का एक सार्थक उपक्रम है। आगे... |